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फिर जंगलमहल जाएंगी ममता, 31 को पुरुलिया में करेंगी प्रशासनिक बैठक

कोलकाता। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 10 दिनों के भीतर दूसरी बार अगले हफ्ते फिर आदिवासी बहुल जंगलमहल जिलों के दौरे पर जाएंगी। तृणमूल कांग्रेस की ओर से शनिवार को जारी एक बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री 31 मई को पुरुलिया. . .

कोलकाता। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 10 दिनों के भीतर दूसरी बार अगले हफ्ते फिर आदिवासी बहुल जंगलमहल जिलों के दौरे पर जाएंगी। तृणमूल कांग्रेस की ओर से शनिवार को जारी एक बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री 31 मई को पुरुलिया जिले के दौरे पर रहेंगी और वहां प्रशासनिक बैठक के साथ एक जनसभा को भी संबोधित करेंगी। इसके अगले दिन एक जून को ममता बांकुड़ा जिले में अधिकारियों के साथ प्रशासनिक बैठक करेंगी और विकास कार्यों की समीक्षा करेंगी। इसके बाद यहां तृणमूल के कार्यकर्ता सम्मेलन को भी ममता संबोधित करेंगी।
बता दें कि ममता इससे पहले 18 मई से तीन दिनों के जंगलमहल दौरे पर गईं थीं। उस दौरे में उन्होंने मेदिनीपुर और झाडग़्राम में प्रशासनिक बैठक की थीं एवं जनसभा को भी संबोधित किया था। अब इस दौरे में ममता जंगल महल के दो अन्य जिले पुरुलिया व बांकुड़ा की यात्रा करेंगी।
बता दें कि एक समय जंगल महल का इलाका माओवाद से काफी प्रभावित था। लेकिन 2011 में ममता के सत्ता में आने के बाद माओवादी गतिविधियों पर पूरी तरह शिकंजा कस दिया गया। हालांकि हाल के दिनों एक बार फिर जंगल महल के विभिन्न इलाकों से माओवादी पोस्टर मिलने की कई घटनाएं सामने आ चुकी है। इसपर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीते 19 मई को झाड़ग्राम में प्रशासनिक समीक्षा बैठक में कहा था कि झाड़ग्राम जिला माओवादियों से मुक्त है और कुछ लोग उग्रवादियों के हवाले से हाथ से लिखे पोस्टर चिपकाकर इलाके में भय पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका इशारा भाजपा की तरफ था। बता दें कि माओवादियों के नाम वाले पोस्टर हाल में ‘जंगलमहल’ में कई स्थानों पर दिखाई दिए, जहां कभी चरमपंथी सक्रिय हुआ करते थे। झाड़ग्राम इसी क्षेत्र का हिस्सा है। ममता ने बैठक में कहा था, कुछ लोग हाथ से लिखे पोस्टर चिपका रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि यह माओवादियों ने किया है। यह सोशल मीडिया पर इन पोस्टर की तस्वीरें डालकर भय पैदा करने का प्रयास है। इंटरनेट पर नजर रखिए क्योंकि वहां अच्छे के साथ ही बुरे लोग भी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने कुछ पोस्टर की विश्वसनीयता की जांच की है और पाया कि इनमें कोई सच्चाई नहीं है।

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