कोलकाता/नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दायर आपराधिक अवमानনা याचिका को सुप्रीम कोर्ट में झटका मिला। याचिकाकर्ता संगठन को देश के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से इस मामले में मंजूरी नहीं मिली, जिसके बाद मजबूर होकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी गई। मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी।
अदालत को राजनीतिक अखाड़ा नहीं : सुप्रीम कोर्ट
यह याचिका ‘आत्मदीप’ नामक एक सार्वजनिक चैरिटेबल ट्रस्ट ने दायर की थी, जिसमें ममता बनर्जी पर अदालत की अवमानना करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला चलाने की अनुमति मांगी गई थी। मामले की सुनवाई कर रही प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (जस्टिस के. विनोद चंद्रन और एन. वी. अंजन्या की पीठ ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अदालत को राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनाया जा सकता। प्रधान न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा था, “कोर्ट को राजनीति का मंच मत बनाइए, राजनीतिक लड़ाई मैदान में ही लड़िए।”
ममता बनर्जी को एक बड़ी राहत मिली
गुरुवार को याचिकाकर्ता संगठन की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि देश के अटॉर्नी जनरल ने ममता बनर्जी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही के लिए अनुमति नहीं दी है। इसके बाद उन्होंने याचिका वापस लेने की गुहार लगाई, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
इस घटनाक्रम के बाद यह साफ हो गया है कि बिना अटॉर्नी जनरल की अनुमति के किसी भी सार्वजनिक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक अवमानना की याचिका सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार नहीं की जाएगी। इस मामले में ममता बनर्जी को एक बड़ी राहत मिली है।