पंजाब में फिर अकाली-भाजपा गठबंधन की तैयारी: चंडीगढ़ में SAD कोर कमेटी मीटिंग बुलाई गई; केंद्र में सुखबीर या हरसिमरत मंत्री बनेंगे
जालंधर। पंजाब में करीब 2 साल बाद अकाली दल और भाजपा के बीच गठबंधन हो सकता है। इसके पूरे आसार बने हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक SAD प्रधान सुखबीर बादल और भाजपा हाईकमान के बीच चर्चा हो चुकी है। जिसमें लोकसभा और विधानसभा सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले पर भी सहमति बन चुकी है।
इस पर पार्टी की मंजूरी लेने के लिए सुखबीर बादल आज चंडीगढ़ में कोर कमेटी से मीटिंग कर रहे हैं। कल उन्होंने जिला प्रधानों और विधानसभा क्षेत्र के इंचार्जों की मीटिंग भी बुलाई है। गठबंधन हुआ तो फिर सुखबीर बादल या उनकी सांसद पत्नी हरसिमरत कौर बादल में से कोई एक केंद्र की NDA सरकार में फिर मंत्री बनेगा। हरसिमरत ने गठबंधन तोड़ने के कुछ दिन बाद केंद्र में फूड प्रोसेसिंग मंत्री का पद छोड़ दिया था। उनके ही पुराने मंत्रालय के साथ मंत्री बनने के ज्यादा चांसेज हैं। सुखबीर केंद्र में शामिल हुए तो उन्हें कृषि मंत्री बनाया जा सकता है। केंद्र सरकार में जल्द कैबिनेट फेरबदल के आसार हैं, उसी में यह फैसला भी हो सकता है।
गठबंधन की 3 बड़ी वजहें
1. चुनाव में मिल रही शिकस्त
अकाली दल ने 2020 में कृषि कानूनों के विरोध में हुए किसान आंदोलन के बाद भाजपा से 24 साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया था। इसके बाद पंजाब में विधानसभा चुनाव हुए तो अकाली दल और भाजपा 2-2 सीटों पर सिमटकर रह गई। इसके बाद संगरूर और जालंधर लोकसभा उपचुनाव में दोनों दल कुछ खास कमाल नहीं कर सके। अकाली दल जहां पंजाब में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। वहीं भाजपा पंजाब में मजबूत होने के लिए हाथ-पांव मार रही है।
2. शहरी और ग्रामीण वोटों का समीकरण
पंजाब में भाजपा का शहरी इलाकों में अच्छा जनाधार है। ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा को ज्यादा समर्थन नहीं है। किसान आंदोलन के बाद भाजपा के लिए हालात और मुश्किल हुए हैं। वहीं अकाली दल का ग्रामीण वोट बैंक मजबूत है लेकिन पंथक पार्टी होने की वजह से शहरों में उसे समर्थन नहीं मिल पाता। ऐसे में दोनों दलों के साथ आने से उनका शहरी-ग्रामीण वोट बैंक का समीकरण फिट हो सकता है।
3. भाजपा के खिलाफ महागठबंधन
देश में अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। भाजपा को हराने के लिए सभी विपक्षी दल एक फ्रंट पर इकट्ठा हो रहे हैं। ऐसे में विरोधियों का गठबंधन भारी न पड़ जाए, भाजपा भी अपने पुराने साथियों को साथ जोड़ रही है।
जानिए…सीटों को लेकर क्या बन रही सहमति
लोकसभा चुनाव: इसको लेकर भाजपा ने अपना कद बढ़ाया है। पंजाब में कुल 13 लोकसभा सीटें हैं। भाजपा पहले 3 और अकाली दल 10 सीटों पर चुनाव लड़ते थे। नए फॉर्मूले में अकाली दल 8 और भाजपा 5 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
विधानसभा चुनाव: पंजाब में कुल 117 विधानसभा सीटें हैं। पहले अकाली दल 94 और भाजपा 23 सीटों पर चुनाव लड़ती थी। नए फॉर्मूले के तहत अब भाजपा दोगुनी यानी 46 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और अकाली दल के हिस्से 71 सीटें आएंगी। यह भी चर्चा है कि चुनाव में जीत होने पर CM का पद अकाली दल को ही मिलेगा।
बादल के निधन के बाद तेज हुई कवायद
अकाली दल के सरपरस्त पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद गठबंधन की कवायद तेज हुई। उनके निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सारे शेड्यूल रद्द कर चंडीगढ़ में अंतिम दर्शन करने पहुंचे। अगले दिन अंतिम संस्कार में भाजपा के राष्ट्रीय प्रधान जेपी नड्डा आए। पूर्व CM की अंतिम अरदास में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गांव बादल पहुंचे। इससे भाजपा ने ये संदेश दे दिया कि चाहे अकाली दल ने उन्हें छोड़ दिया हो लेकिन वह अपने पुराने साथियों को अकेला नहीं छोड़ते।
पूर्व CM की अंतिम अरदास के मौके पर भी कई नेताओं ने खुले या दबी जुबान में भाजपा से गठबंधन की वकालत की। हालांकि इसको लेकर अकाली दल की तरफ से औपचारिक बयान कभी नहीं आया। भाजपा नेता भी इसका विरोध करते रहे लेकिन यह तय है कि अगर दिल्ली में हाईकमान से फैसला हुआ तो पंजाब में उसे सबको कबूल करना ही होगा।
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