अभिषेक बनर्जी को मिलेगा कौन सा पद, इस पर रहेगी सबकी नज़र, ममता आज करेंगी टीएमसी कार्यसमिति में विभागों का बंटवारा
कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी आज पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति के विभागों का बंटवारा कर सकती हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि ममता ने शुक्रवार को पार्टी की नवगठित राष्ट्रीय कार्यसमिति की पहली बैठक बुलाई है।
एक टीएमसी नेता ने कहा, “ममता नई समिति के पदाधिकारियों के विभागों का बंटवारा कर सकती है। वह उन चार नगर निकायों के महापौरों के नामों की भी घोषणा कर सकती हैं जिन्हें टीएमसी ने हाल ही में जीता है।” टीएमसी सुप्रीमो ने पिछले हफ्ते 2017 में गठित पिछली कमेटी को भंग करते हुए पार्टी की एक नई 20-सदस्यीय राष्ट्रीय कार्य समिति का गठन किया था। टीएमसी ने यह कदम ‘एक आदमी-एक-पोस्ट’ नीति पर मचे आंतरिक हंगामे के बीच उठाया है। पार्टी ने पिछले साल अपने संगठनात्मक फेरबदल के दौरान इस नीति को अपनाया था। टीएमसी सुप्रीमो के भतीजे अभिषेक बनर्जी स्पष्ट रूप से इस नीति के मुखर समर्थक रहे हैं।
नई कार्य समिति में अमित मित्रा, अभिषेक बनर्जी, अनुब्रत मंडल, अरूप बिस्वास, असीमा पात्रा, बुलु चिक बारैक, चंद्रिमा भट्टाचार्य, सुब्रत बख्शी, पार्थ चटर्जी, फिरहाद हकीम, गौतम देब, ज्योतिप्रिय मलिक, काकोली घोष दस्तीदार, राजेश त्रिपाठी, सोवंदेब, चट्टोपाध्याय, सुदीप बनर्जी, सुखेंदु शेखर रॉय, मोलॉय घटक और यशवंत सिन्हा सरीखे नेता शामिल हैं।
अभिषेक को पिछली कार्यसमिति में शामिल किया गया था और जून 2021 में उन्हें टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। यहां तक कि पिछली कार्यसमिति के साथ उनका पद भी भंग कर दिया गया है। प्रमुख नाम जो पिछली सूची में थे, लेकिन शनिवार को जारी नई सूची से हटा दिए गए हैं, उनमें टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन और सौगत रॉय शामिल हैं। 2017 की सूची में सुवेंदु अधिकारी शामिल थे। वह 2021 के पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनावों से पहले दिसंबर 2020 में भाजपा में शामिल हो गए।
पश्चिम बंगाल में अपनी सफलता के बाद टीएमसी ने खुद को एक राष्ट्रीय ताकत के रूप में स्थापित करने का फैसला किया। ममता की पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मुकाबला करने की तैयारी में दिख रही है। टीएमसी के विस्तार कार्यक्रम का नेतृत्व अभिषेक बनर्जी कर रहे हैं। अभिषेक बनर्जी ने ही 2019 में बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर बीजेपी द्वारा कब्जा किए जाने के बाद प्रशंता किशोर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलवाया था।
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