नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 8 नवंबर, 2016 को 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों के वैध नोटों को वापस लेने का आदेश एक आर्थिक नीतिगत निर्णय था, जो आरबीआई के साथ व्यापक परामर्श और अग्रिम तैयारी के बाद लिया गया था। बता दें, केंद्र सरकार ने साल 2016 में देश में नोटबंदी की थी। 500 रुपए और 1000 के नोट चलन से बाहर होते ही हड़कंप मच गया था। इस फैसले का असर पूरे देश में पड़ा था। ऐसे में कई बार ये सवाल उठे कि आखिर केंद्र सरकार ने ऐसा क्यों किया?
केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अपने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि 500 और 1000 के नोटों को चलन से बाहर करने और नोटबंदी का यह फैसला भारतीय रिजर्व बैंक के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद लिया गया था और नोटबंदी से पहले इसकी सारी तैयारियां कर ली गई थीं।
नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में दायर हलफनामे में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नोटबंदी करना जाली करेंसी, आतंक के लिए फाइनेंस, काले धन और कर चोरी की समस्याओं से निपटने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा और एक प्रभावी उपाय था। लेकिन यह केवल इतने तक सीमित नहीं था। परिवर्तनकारी आर्थिक नीतिगत कदमों की श्रृंखला में यह अहम कदमों में से एक था।