नई दिल्ली। आरबीआई (RBI) ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दर में 50 बेसिस अंक की बढ़ोतरी की है। इसके साथ ही रेपो रेट 5.90 फीसदी पहुंच गया है जो तीन साल में सबसे अधिक है। रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है। इसके बढ़ने से होम लोन समेत सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे। केंद्रीय बैंक की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में रेपो रेट में बढ़ोतरी का फैसला किया गया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। मई से रेपो रेट में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी की जा चुकी है।
माना जा रहा था कि महंगाई को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक एक बार फिर रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकता है। दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों ने महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों में इजाफा किया है। आरबीआई ने मई में रेपो रेट में 190 बेसिस पॉइंट्स का इजाफा कर चुका है। अमेरिकी फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार 75 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की थी जिसके बाद रुपये पर दबाव बढ़ गया था। साथ ही खुदरा महंगाई (retail inflation) भी अगस्त में फिर बढ़ गई थी। ऐसी स्थिति में अर्थशास्त्रियों का मानना थी कि आरबीआई शुक्रवार को रेपो रेट में बढ़ोतरी की घोषणा कर सकता है।
महंगाई का अनुमान
दास ने कहा कि एमपीसी के छह सदस्यों में पांच ने रेपो रेट में बढ़ोतरी का समर्थन किया। साथ ही समिति ने महंगाई को काबू में लाने के लिए नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देते रहने का भी फैसला किया है। दास ने कहा, ‘हम कोविड महामारी संकट, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के नीतिगत दर में आक्रामक वृद्धि के कारण उत्पन्न नए ‘तूफान’ का सामना कर रहे हैं।’
आरबीआई ने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए महंगाई के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। दूसरी छमाही में इसके करीब छह प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई सात प्रतिशत थी, जो आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर है। दास ने कहा कि अगर तेल के दाम में मौजूदा नरमी आगे बनी रही, तो महंगाई से राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न पहलुओं पर गौर करने के बाद चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7.0 प्रतिशत किया गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि वैश्विक संकट के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।
बढ़ जाएगी उधारी लागत
रेपो रेट्स में बढ़ोतरी से कॉस्ट ऑफ बोरोइंग (Cost of Borrowing) यानी उधारी की लागत बढ़ जाएगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि रेपो रेट बढ़ने से बैंकों की बोरोइंग कॉस्ट बढ़ जाएगा। बैंक इसे ग्राहकों पर डालेंगे। इससे लोन लेना महंगा हो जाएगा। इससे मकानों की बिक्री भी प्रभावित होगी। कच्चे माल की कीमत में बढ़ोतरी से बिल्डर पहले ही रियल एस्टेट की कीमत बढ़ा चुके हैं। इससे रियल एस्टेट मार्केट की रिकवरी प्रभावित होगी जो पहले ही धीमी गति से पटरी पर लौट रही है।
होम लोन पर क्या असर होगा
बैंक जो नए रिटेल लोन देते हैं, वे किसी एक्सटरनल बेंचमार्क से जुड़े होते हैं। अधिकांश मामलों में यह रेपो रेट से जुड़ा होता है। यही वजह है कि रेपो रेट में किसी भी बदलाव से होम लोन का इंटरेस्ट रेट प्रभावित होता है। यानी रेपो रेट में बढ़ोतरी से अपने होम लोन की किस्त बढ़ जाएगी। साथ ही एमसीएलआर, बेस रेट और बीपीएलआर से जुड़े पुराने होम लोन पर भी इसका असर होगा।
बढ़ जाएगी लोन की किस्त
अगर किसी व्यक्ति ने अप्रैल 2022 में 30 लाख रुपये का होम लोन 6.95 फीसदी ब्याज पर 20 साल के लिए ले रखा है तो अभी 8.35 फीसदी के हिसाब से उसकी किस्त 25,751 रुपये होगी। रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद अगर बैंक लेंडिंग रेट में 25 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी करता है तो ब्याज दर 8.60 परसेंट पहुंच जाएगी। इससे उसकी किस्त बढ़कर 26,225 रुपये पहुंच जाएगी। इसी तरह अगर किसी व्यक्ति ने अप्रैल 2022 में एक करोड़ रुपये का होम लोन 6.9 फीसदी ब्याज पर 20 साल के लिए ले रखा है तो उसकी किस्त 76,931 रुपये होगी। लेकिन रेपो रेट में 50 बेसिस अंक की बढ़ोतरी के बाद यह 87,734 रुपये हो जाएगी।
दूसरे लोन भी महंगे हो जाएंगे
होम लोन के अलावा वीकल लोन (vehicle loan), एजुकेशन लोन (education loan), पर्सनल लोन (personal loan) और बिजनस लोन (business loan) भी महंगा हो जाएगा। बोरोइंग कॉस्ट बढ़ने से आम लोग अनावश्यक खर्च से बचते हैं जिससे मांग घटती है। हालांकि रेपो रेट में बढ़ोतरी का उन ग्राहकों को फायदा होगा जिन्होंने एफडी (FD) करा रखी है।