Universe TV
हर खबर पर पैनी नजर

कश्मीर समस्या बनी एक रोमांचक वेब सीरीज तनाव : सुधीर मिश्रा ने रिश्तों दी है नई धार, आहिस्ता आहिस्ता आनंद देती अप्लॉज की नई रीमेक

- Sponsored -

- Sponsored -


मूवी रिव्यू : तनाव
कलाकार : मानव विज , एकता कौल , सुमित कौल , शशांक अरोड़ा , अरबाज खान , वालुश्चा डिसूजा , सत्यदीप मिश्रा और जरीना वहाब आदि
लेखक : सुधीर मिश्रा और ईशान पाठक (मूल सीरीज ‘फावदा’ का हिंदी अनुकूलन)
निर्देशक : सुधीर मिश्रा और सचिन ममता कृष्ण
निर्माता : समीर नायर , दीपक सेगल और सिद्धार्थ खेतान
ओटीटी : सोनी लिव
रेटिंग 3/5
मुंबई। आदित्य बिड़ला ग्रुप की मनोरंजन क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी अप्लॉज एंटरटेनमेंट ने दुनिया भर की विभिन्न भाषाओं की लोकप्रिय वेब सीरीज को हिंदी में बनाने के अधिकार खरीदे हुए हैं। अपने पिटारे से वह एक एक करके नमूने निकालते रहे हैं। कभी हैट से खरगोश निकल आता है तो तालियां बजती हैं और कभी कभी इसके मुखिया समीर नायर इसमें चूक भी जाते हैं। इस बार मामला इजरायली सुरक्षा एजेंसियों में काम कर चुके एवी इसाचरॉफ और लियोर राज द्वारा रचित यस स्टूडियो की वेब सीरीज ‘फावदा’ का है। जिन लोगों ने ये सीरीज इसके मूल रूप में देखी है, उन्हें पता होगा कि ये कहानी इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चले आ रहे सतत संघर्ष की पृष्ठभूमि में एक सीमांत इलाके में बुनी गई है।
इजरायल से कश्मीर पहुंची कहानी
वेब सीरीज ‘तनाव’ का भूगोल कश्मीर का है। ये जम्मू कश्मीर सरकार की मदद से बनी है और इसका जिक्र भी सीरीज के हर एपिसोड के आखिर में आता है। मसला आतंक के माहौल में पिस रही मासूम जिंदगियों का है। निर्देशकद्वय सुधीर मिश्रा व सचिन कृष्ण की अपराध, आतंक और कानून की दुनिया के किरदारों की निजी जिंदगी के भीतर ये एक संवेदनशील ताकझांक है। कहानी धीरे धीरे असर करती है और उन हिंदी क्राइम सीरीज़ जैसी नहीं है जहां सब कुछ भगदड़ में और जल्दी जल्दी होता है। पैंथर नाम का एक दुर्दांत आतंकवादी है जिसे एक मुठभेड़ में मारकर बहादुरी का तमगा हासिल करने वाला कबीर अब सेवानिवृत्त होकर सेब के बागान चला रहा है। खुलासा होता है कि जिस पैंथर को अब तक सुरक्षा एजेंसियां मरा हुआ मान रही थीं, वह जिंदा है।
रिश्तों के भंवरजाल की कहानी
कहानी का असली सिरा वहां से पकड़ आता है जब टास्क फोर्स का मुखिया कबीर के घर बिन बुलाए मेहमान की तरह आता है और कबीर के जमीर को हिलाकर चला जाता है। जाहिर है कबीर लौटेगा ही। कबीर और पैंथर के बीच चलने वाले इस चूहे बिल्ली के खेल के साथ कश्मीर की राजनीति, स्थानीय राजनीति में सीमा पार से मिलन वाली मदद, हथियारों की तस्करी के धागे हैं। पूरी कसरत उस धमाके को लेकर है जो पैंथर जल्द ही करने वाला है। कबीर का खुशहाल परिवार है जिसमें उसका घर से दूर रहना तनाव घोलता है। मुंबई से लौटी एक डॉक्टर है जिसके पास आकर कबीर को सुकून मिलता दिखता है। पैंथर का एक प्यादा है, जो इन सारे अलग अलग तारों को पकड़ते रहने की कोशिश में लगा रहता है। अभी ओटीटी पर सीरीज के बस छह एपीसोड ही रिलीज हुए हैं। इसके बाद के छह एपीसोड हर शुक्रवार को एक एक कर रिलीज होने हैं।
आहिस्ता आहिस्ता असर करती सीरीज
वेब सीरीज ‘तनाव’ को देखते हुए अगर आप तनाव में नहीं होंगे तो इसे देखने का आनंद अलग ही है। हालांकि एक समीक्षक के तौर पर इसे एक साथ पूरा देखने का तनाव एक दूसरी ही बात है। पहला एपिसोड करीब एक घंटे का है और बाकी तकरीबन आधे आधे घंटे के। मैंने सारे 12 एपिसोड बिंज वॉच किए हैं और यही इस सीरीज की जीत है कि ये एक एपिसोड खत्म होने के बाद अगला एपिसोड तुरंत देख लेने की किक देती है। चूंकि ओटीटी पर अभी सिर्फ छह एपीसोड आए हैं तो बिना कहानी के राज खोले ही इसकी बात करना ठीक रहेगा। सुधीर मिश्रा ने बतौर फिल्मकार जितनी भी कहानियां बनाई हैं, उनमें अलग अलग किरदारों का समाज, परिवार, पेशे और खुद से तनाव एक किरदार के रूप में सामने आया है, वेब सीरीज ‘तनाव’ उनकी इस पहचान को और पुख्ता करती है।
सुधीर की कल्पना में सचिन के रंग
सीरीज के दूसरे निर्देशक सचिन कृष्ण मूल रूप से सिनेमैटोग्राफर हैं। यहां उन्होंने अपनी मूल जिम्मेदारी के साथ साथ सीरीज का निर्देशन भी किया है। सुधीर मिश्रा की बनाई लकीर को एक काबिल सहयोगी की तरह सचिन ने आखिर तक पहुंचाने में सफलता पाई है। कहानी चूंकि घाटी में पनपते रहे आतंक के आसपास बोई गई है लिहाजा इसमें वहां की स्थानीय बोली को खासी तवज्जो दी गई है। सीरीज लिखने में भी सुधीर मिश्रा की फिल्मकारी की वही छाप नजर आती है जिसने फिल्म ‘इस रात की सुबह नहीं’ के साथ ही उन्हें एक अलग प्रतिष्ठा हिंदी सिनेमा में दिला दी थी।
नजर उतारती संपादन की गलतियां
वेब सीरीज की कहानियों में इधर दोहराव इतना ज्यादा है कि कई बार नई सीरीज देखते समय लगता है कि अरे, ये दृश्य तो हमने पहले ही देख रखा है। प्राइम वीडियो की ‘जैक रयान’ सीरीज भी ‘तनाव’ देखते समय याद आती है और हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘कोड नेम तिरंगा’ भी। कुछ गलतियां और भी हैं सीरीज में जो शायद संपादन के समय पकड़ आ जानी चाहिए थीं, जैसे, क्लाइमेक्स में मुनीर कंट्रोल रूम में भी है और मौका ए वारदात पर भी। कबीर घटना के बीच में ही अपनी शर्ट बदल लेता है। लेकिन, कहते हैं कि इस तरह की गलतियां सिनेमा में नजर उतारने का काम करती हैं तो मेरी तरफ से भी इसके लिए आमीन ही है।
ठीक से उभर नहीं पाया कश्मीर
लेकिन, सीरीज ‘तनाव’ में जो बात बार बार खटकने वाली है वह ये कि कश्मीर में रची गई एक सीरीज में बस कश्मीर ही ठीक से उभरकर सामने नहीं आता है। कैमरा जब आसमान में होता है तो कश्मीर पेटिंग सरीखा दिखता है। लेकिन, जब यही कैमरा किरदारों पर आता है तो उनके पीछे का वातावरण उभर कर सामने नहीं आता। कहानियों में वातावरण को किरदार की तरह पेश करने से ही दर्शकों से उनका रिश्ता बनता है। संगीत भी ऐसी सीरीज का दमदार हिस्सा होता है। यहां बैकग्राउंड म्यूजिक रचा भी अच्छा गया है, बस इसमें कश्मीरियत की कमी झलकती रहती है।
मानव और एकता का मजबूत अभिनय
वेब सीरीज ‘तनाव’ की कमजोर कड़ियों के बाद बात करते हैं इसकी पक्की जमीन की जो तैयार हुई है इसके कुछ बेहद मजबूत कलाकारों से। दो बच्चों के पिता और एक बहकी हुई सी बीवी के पति कबीर बने मानव विज का अपने किरदार के लिए उस जैसा ही बन जाना प्रभावित करता है। हर मसले के लिए उनका किरदार नई पहचान ओढ़ता है और उस ओढ़ी हुई पहचान को भी ईमानदारी से निभा ले जाना उनके अभिनय की जीत है। एकता कौल का असली काम सीरीज देखने वाले दर्शक आने वाले एपिसोड में देख पाएंगे और अपने प्रभावशाली अभिनय के चलते वही सीरीज की नंबर वन हीरोइन बनकर सामने आती हैं।
शशांक अरोड़ा के लिए संभलने का समय
कश्मीरी पृष्ठभूमि के कलाकारों सुमित कौल और एम के रैना को सीरीज के महत्वपूर्ण किरदार देना इसकी कास्टिंग की जीत है। दोनों ने किरदार मुस्लिम निभाए हैं लेकिन लहजा उनका सौ फीसदी सटीक है। शशांक अरोड़ा की तारीफ करने का मन तो करता है और वह इरफान खान, नवाजुद्दीन सिद्दीकी की कड़ी के अगले कलाकार भी बनते दिख रहे हैं। लेकिन, उन्हें दोनों की फ्लॉप फिल्में जरूर देखनी चाहिए और ये सीखना चाहिए कि एक कलाकार अपनी ही बनाई इमेज को जब तोड़ नहीं पाता है तो आगे का रास्ता कितना संकरा होता जाता है।


- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.