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क्या एमएस धोनी ने धोखेबाजी से जीता मैच, फाइनल से हो सकते हैं बाहर ? अंपायर्स को उलझाने और जानबूझकर समय बर्बाद करने के आरोप

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चेन्नई। डिफेंडिंग चैंपियन गुजरात टाइटंस को हराते हुए चेन्नई सुपरकिंग्स ने 10वीं बार आईपीएल के फाइनल में जगह बना ली है। मगर अब कुछ लोग एमएस धोनी पर बेइमानी और खेल भावना से खिलवाड़ करने का आरोप लगा रहे हैं। कई पूर्व भारतीय और विदेशी क्रिकेटर्स ने सोशल मीडिया पर अपनी राय दी है। दरअसल, पूरा मामला गुजरात टाइटंस की बैटिंग के दौरान 16वें ओवर से पहले का है। जब खेल कुछ देर के लिए रुक गया। धोनी, अंपायर्स और चेन्नई के प्लेयर्स पिच के किनारे खड़े होकर बातचीत करने लगे। किसी को कुछ समझ नहीं आया कि खेल आखिर शुरू क्यों नहीं हो रहा है।
दरअसल, बात 15वें ओवर के बाद की है, जब गुजरात को जीतने के लिए आखिरी पांच ओवर में 71 रन चाहिए थे और उसके चार विकेट बचे थे। क्रीज पर विजय शंकर और राशिद खान नए-नए ही आए थे। धोनी ने अपने फ्रंटलाइन बोलर्स जैसे दीपक चाहर, रविंद्र जडेजा और महीश तीक्षणा के चार-चार ओवर्स पूरे करवा लिए थे। अब माही के पास सिर्फ तुषार देशपांडे और श्रीलंकाई पेसर मथीश पथिराना का ही विकल्प बचा हुआ था। यही से सारा विवाद शुरू हुआ।
लसिथ मलिंगा की तरह स्लिंग एक्शन वाले मथीथ पथिराना के तीन ओवर बचे हुए थे। मगर वह पिछले नौ मिनट से फील्ड से बाहर थे। ऐसे में दोनों फील्ड अंपायर क्रिस गैफनी और अनिल चौधरी ने पथिराना को सीधे गेंदबाजी करने की अनुमति नहीं दी। नियमों के मुताबिक कानून 24.2.3 कहता है कि यदि कोई प्लेयर आठ मिनट से ज्यादा समय तक मैदान से बाहर रहता है तो उसे इतने ही देर ग्राउंड पर वक्त गुजारना होता है। तब तक बोलिंग या बैटिंग से दूर रखा जाएगा।
महेंद्र सिंह धोनी चाहते तो 16वें ओवर में ऑलराउंडर मोइन अली के साथ खेल को फिर से शुरू कर सकते थे, लेकिन वह मथीश पथिराना का इंतजार करते रहे। अंपायर्स और विरोधी टीम ने भी इस दौरान कोई आपत्ति दर्ज नहीं की। अंत में गुजरात टाइटंस 157 रन पर पर सिमट गई। आईपीएल इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब हार्दिक पंड्या की टीम ऑलआउट हुई हो।


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