Universe TV
हर खबर पर पैनी नजर

चश्मदीदों ने बताया दिल दहला देने वाले खौफनाक मंजर की आँखो देखी, घाट पर हजारों लोग थे, सुरक्षाकर्मी सिर्फ 8, बचाव के लिए केवल रस्सी

- Sponsored -

- Sponsored -


जलपाईगुड़ी। जलपाईगुड़ी जिले के मालबाजार में विजय दशमी की रात प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुए हादसे में आठ लोगों की नदी में डूबने से मौत हो गयी, जबकि कई लापता बताये जा रहे हैं। इधर घटना के बाद आज सुबह से ही हलकी बारिश के बीच सिर पर छाते लिए आस पास के लोग उस खौफनाक घटना के बाद के मंजर को देखने नदी घाट की ओर उमड़ पड़े। चश्मदीदों ने कल रात दिल को दहला देने वाले उस खौफनाक मंजर के बारे में आँखो देखी हाल बताया।
माल नदी में मूर्ति विसर्जन के दौरान जब जल का स्तर बढ़ रहा था, तब घाट पर सिर्फ आठ सुरक्षाकर्मी मौजूद थे, जबकि उस वक्त घाट पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे। सिविल डिफेंस के जवानों ने बताया है कि हादसे से निपटने के लिए सुरक्षाकर्मियों के पास रस्सी के अलावा कोई दूसरा साधन नहीं था। इस हादसे में मूर्ति विसर्जन के दौरान डूबने से 8 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।
जानकारी मिली है कि शुरुआती दौर में सुरक्षाकर्मियों के पास बचाव कार्य के लिए सर्च लाइट भी नहीं थी। हादसे के तुरंत बाद पास में मौजूद ऑफिस से सर्च लाइट मंगवाई गईं, लेकिन तब तक रेस्क्यू ऑपरेशन बाधित रहा। जिस घाट पर ये हादसा हुआ, उस घाट के प्रभारी एनडीआरएफ के पल्लब विकास मजूमदार थे। जब उनसे हादसे को लेकर सवाल जवाब किए गए तो उन्होंने माना कि ड्यूटी पर रहने के बावजूद शाम को हादसे से पहले ही मैं अपने एक बीमार रिश्तेदार के घर चला गया था।
घाट पर न होकर, फ्रंट ऑफिस में रखा गया था बचाव अभियान का सारा सामान
मजूमदार ने यह भी कहा कि बचाव अभियान का सारा सामान घाट पर न होकर, फ्रंट ऑफिस में रखा गया था। एनडीआरएफ अधिकारी ने बताया कि घाट पर सभी सुरक्षा कर्मचारी अपने काम में बिज़ी थे। ऐसी दुर्घटना के बाद सबसे पहली चीज जो आपको चाहिए, वह सर्च लाइट है, लेकिन तब सर्च लाइट घाट पर नहीं थी। ऑफिस से सर्च लाइट मंगवाई गई और बचाव अभियान शुरू किया गया, यानी स्थानीय निवासियों की ओर से प्रशासन पर लापरवाही के जो आरोप लगाए गए, वह एनडीआरएफ अधिकारी मजूमदार की बातों से स्पष्ट होते हैं।
प्रशासन ने नहीं, स्थानीय लोगों ने चलाया बचाव अभियान- चश्मदीद
हादसे के एक चश्मदीद चाय बागान के मैनेजर ने दावा किया कि जब लोग बह रहे थे तो स्थानीय निवासी मदद के लिए आगे आए। हमारे चाय बागान के कर्मचारी भी बचाव अभियान में शामिल हो गए, लेकिन इस दौरान प्रशासन की ओर से हमने किसी को नहीं देखा। पुलिस या प्रशासन की ओर से कोई भी बचाव अभियान में शामिल नहीं हुआ। इस हादसे के बाद सवाल उठता है कि प्रशासन ने इतनी भीड़ को संभालने के लिए लापरवाही क्यों बरती?


- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.