नई दिल्ली। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का निधन हो गया है। वह 96 साल की थीं. एलिजाबेथ अपने शासन काल में तीन बार भारत यात्रा पर आईं थीं। वह पहली बार साल 1961, दूसरी बात साल 1983 और तीसरी बार साल 1997 में भारत यात्रा पर आईं थीं। इन तीनों भारत दौरों पर उनके साथ पति प्रिंस फिलीप भारत आए थे। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से पहले उनके दादा किंग जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी साल 1911 में भारत दौरे आए थे। इसके 50 साल बाद ब्रिटेन राजघराने से भारत आने वाली वो पहली शाही महमान थीं।
महारानी ने की थी ‘गर्मजोशी और आतिथ्य’ की तारीफ
महारानी एलिजाबेथ ने भारत में मिली ‘गर्मजोशी और आतिथ्य’ की खूब तारीफ भी की थी। उन्होंने अपने एक संबोधन में कहा था, “भारतीयों की गर्मजोशी और आतिथ्य भाव के अलावा भारत की समृद्धि और विविधता हम सभी के लिए एक प्रेरणा रही है।” 1961 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और उनके दिवंगत पति प्रिंस फिलिप ने मुंबई, चेन्नई और कोलकाता का दौरा किया था। उन्होंने आगरा पहुंचकर ताज महल का दीदार करने के साथ ही नई दिल्ली में राज घाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी अर्पित की थी।
गणतंत्र दिवस परेड में अतिथि थीं महारानी
एलिजाबेथ और फिलिप तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के निमंत्रण पर भारत की गणतंत्र दिवस परेड में सम्मानित अतिथि थे। महारानी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों लोगों की भीड़ को संबोधित भी किया था। महारानी ने 1983 में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) में हिस्सा लेने के लिए भारत की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने मदर टेरेसा को ऑर्डर ऑफ द मेरिट की मानद उपाधि से नवाजा था।
जलियांवाला बाग हत्याकांड को बताया दुखद
महारानी की अंतिम भारत यात्रा देश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हुई थी। इस दौरान उन्होंने पहली बार औपनिवेशिक इतिहास के ‘कठोर दौर’ का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, “यह कोई रहस्य नहीं है कि हमारे अतीत में कुछ कठोर घटनाएं हुई हैं।जलियांवाला बाग एक दुखद उदाहरण है।” महारानी और उनके पति ने बाद में 1919 में नरसंहार के गवाह बने अमृतसर के जलियांवाला बाग का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की थी।
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