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बिहार के बाद बीजेपी का मिशन बंगाल शुरू : 5 महीने पहले 5 प्रमुख जोन में की नेताओं की तैनाती, सिलीगुड़ी में कमान संभालेंगे अरुण बिन्नाडी

सिलीगुड़ी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में बिहार में एनडीए की ऐतिहासिक विजय केवल एक चुनाव का रिजल्ट नहीं, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक बढ़त है, जिसकी गूंज पश्चिम बंगाल में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों में सुनाई. . .

सिलीगुड़ी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में बिहार में एनडीए की ऐतिहासिक विजय केवल एक चुनाव का रिजल्ट नहीं, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक बढ़त है, जिसकी गूंज पश्चिम बंगाल में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों में सुनाई देना तय है। बिहार की जनता-जनार्दन ने विकास, सुशासन और देश में स्थिर नेतृत्व की राजनीति को जिस प्रचंडता से स्वीकार किया है, वह बंगाल के मतदाताओं में तुलना की नई भावना भरने वाला है। पीएम मोदी फैक्टर की आक्रामक अपील, महिला मतदाताओं का निर्णायक समर्थन और जंगलराज बनाम विकास नैरेटिव, ये तीनों फैक्टर बंगाल के चुनावी माहौल को भी गहराई से प्रभावित करेंगे।

मेगा ऑपरेशन शुरू

बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद भाजपा ने बंगाल में आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से मेगा ऑपरेशन शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने 6 राज्यों के संगठन मंत्रियों और 6 वरिष्ठ नेताओं को बंगाल के 5 प्रमुख जोनों में रणनीतिक रूप से तैनात किया है। ये सभी नेता अगले पांच महीनों तक बंगाल में डेरा डालकर बूथ नेटवर्क, सामाजिक समीकरण और जमीनी राजनीति पर काम करेंगे। = भाजपा ने पहली बार इतने बड़े स्तर पर बाहरी राज्यों के नेताओं की लॉन्ग-टर्म तैनाती की है।

किस जोन में कौन-कौन से नेता की हुई तैनाती

उत्तर बंगाल : अनंत नारायण मिश्र, सिलीगुड़ी में अरुण बिन्नाडी और कैलाश चौधरी को लगाया गया है .
पुरुलिया ज़ोन : पवन साई के साथ धन सिंह रावत को पुरुलिया, बांकुड़ा, वर्धमान इलाके में काम करने को कहा गया है.
हावड़ा–हुगली : पवन राणा के साथ संजय भाटिया हावड़ा और हुगली में जमीनी स्तर पर काम करेंगे.
मेदिनीपुर : यूपी मंत्री जेपीएस राठौर को शुभेंदु अधिकारी वाले क्षेत्र में तेज़ राजनीतिक मोर्चा संभालने को कहा गया है.
कोलकाता–दक्षिण 24 परगना : एम. सिद्धार्थन और सीटी रवि की हाई–इम्पैक्ट टीम को टीएमसी के गढ़ में उतारा है
नवद्वीप–उत्तर 24 परगना : एन. मधुकर व सुरेश राणा को संवेदनशील क्षेत्रों पर फोकस.

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पांच महीनों रूककर जमीनी राजनीति पर काम करेंगे नेता

बताया जा रहा है कि, ये सभी नेता अगले पांच महीनों तक वहां रूककर बूथ नेटवर्क, सामाजिक समीकरण और जमीनी राजनीति पर काम करेंगे और आने वाले चुनावों के लिए रणनीति तैयार करेंगे। इसके साा ही बता दें कि, ये पहला ऐसा मौका है जब भाजपा ने इतने बड़े स्तर पर बाहरी राज्यों के नेताओं के साथ मिलकर लॉन्ग टर्म में तैनाती की हैं। कहां किसकी तैनाती ? उत्तर बंगा के लिए अनंत नारायण मिश्र, सिलीगुड़ी में अरुण बिन्नाडी और कैलाश चौधरी को काम करने के लिए कहा गया है।

टीएमसी के गढ़ में सेंध मारने की कोशिश

पुरुलिया, ज़ोन के लिए पवन साई और धन सिंह रावत को पुरुलिया, बांकुड़ा, वर्धमान इलाके में लगाया गया है। हावड़ा–हुगली जोन के लिए पवन राणा के साथ संजय भाटिया हावड़ा और हुगली में बूथ नेटवर्क, सामाजिक समीकरण और जमीनी स्तर पर काम करेंगे। मेदिनीपुर जोन के लिए यूपी मंत्री जेपीएस राठौर को शुभेंदु अधिकारी वाले क्षेत्र में तेज़ राजनीतिक मोर्चा संभालने के आदेश जारी किए गए है। कोलकाता–दक्षिण 24 परगना जोन के लिए एम. सिद्धार्थन और सीटी रवि को टीएमसी के गढ़ में सेंध मारने के लिए कहा गया है ताकि आने वाले चुनाव में कोई कसर नहीं रह जाए।
नवद्वीप–उत्तर 24 परगना जोन के लिए एन. मधुकर व सुरेश राणा को संवेदनशील क्षेत्रों पर बारिकी से काम करने और जनता के बीच जाकर उनकी आवाज को केंद्र सरकार तक पहुंचाने का काम दिया गया है।

मजबूत पकड़ के लिए बूथ और पन्ना प्रमुखों की बहाली

इतना ही नहीं बीजेपी में बंगाल में जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ के लिए बूथ और पन्ना प्रमुखों की बहाली अक्टूबर में ही 75 प्रतिशत से अधिक पूरी कर ली है। साथ ही प्रदेश के 250 से ज़्यादा सीटों पर एक पुरुष और एक महिला विस्तारक नियुक्त कर दिया है। ममता बनर्जी लंबे समय से बंगाल की सत्ता पर काबिज हैं और अब बीजेपी ने साफ संकेत दे दिया है कि अगला चुनाव वह पूरी ताकत, पूरी मशीनरी और पूरी रणनीति के साथ लड़ेगी।

वरिष्ठ नेताओं को जमीनी काम के लिए तैनात किया

बंगाल में यह पहली बार है जब बीजेपी ने इतनी बड़ी संख्या में बाहर के संगठन मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं को लगातार कई महीनों तक जमीनी काम के लिए तैनात किया है। कुल मिलाकर बिहार में शपथ ग्रहण के तुरंत बाद बंगाल में एक्टिव मोड में आकर बीजेपी ने साफ कर दिया है कि 2026 का चुनाव उसके लिए सिर्फ एक राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि पूर्वी भारत में अपना मजबूत आधार बनाने की निर्णायक तैयारी है।

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