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सूडान से लौटे भारतीयों ने सुनाई आपबीती, बिजली पानी के बिना अंधेरे बंद कमरे में काटे दिन

यूनिवर्स टीवी डेस्क। आंतरिक संकट से जूझ रहे सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन कावेरी (Operation Kaveri) चलाया है। इसके तहत अब तक दो जत्थों में 488 लोगों को भारत लाया गया है। इस. . .

यूनिवर्स टीवी डेस्क। आंतरिक संकट से जूझ रहे सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन कावेरी (Operation Kaveri) चलाया है। इसके तहत अब तक दो जत्थों में 488 लोगों को भारत लाया गया है। इस दौरान जैसे ही ये लोग दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे, उन्होंने ‘भारत माता की जय’ के साथ ही ‘नरेंद्र मोदी जिंदाबाद’ समेत भारतीय सेना की जयकारों के नारे लगाए। इस दौरान भारत लौटे लोगों सूडान में अपने संघर्ष की कहानी सुनाई।
सूडान से लौटे भारतीयों ने सूडान में अपने संघर्ष की कहानी सुनाई है। उन्होंने बताया है कि कैसे वे लोग सूडान में बिजली, पानी और भोजन के बगैर अपने दिन काट रहे थे। सूडान से लौटे 40 वर्षीय इंजीनियर सुखविंदर सिंह ने बताया है कि सूडान की दर्दनाक स्थिति को लेकर बताया, “ऐसे लग रहा था कि हम मृत्युशय्या पर थे।” सुखविंदर सिंह ने ऑपरेशन कावेरी के तहत पहले बैच में भारत लौटे थे।
मौत के मुंह से निकले लोग
सूडान से भारत लौटे पीड़ित सुखविंदर ने बताया, ”हम एक बंद कमरे में रह रहे थे, यह ऐसा था कि हम मृत्युशय्या पर हों।” वहीं, सूडान की एक फैक्ट्री में काम करने वाले उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के रहने वाले छोटू इतने सहमे हुए हैं कि अभी भी उन्हें यकीन नहीं हो रहा है कि वह भारत लौट आए हैं। उन्होंने कहा, ”मैं मरकर वापस आ गया। कभी सूडान नहीं जाऊंगा. मैं देश में रहकर कुछ भी करूंगा लेकिन अब सूडान कभी नहीं जाऊंगा।”
बिजली पानी के बिना जीने को मजबूर लोग
सूडान से लौटने वाले पंजाब के होशियारपुर में रहने वाले तसमेर सिंह भी सूडान में बुरी तरह फंसे थे। उन्होंने कहा, “हम एक लाश की तरह थे, एक छोटे कमरे में बिना बिजली-पानी के रह रहे थे। हमने कभी नहीं सोचा था कि हम अपने जीवन में ऐसी स्थिति का सामना करेंगे, लेकिन भगवान का शुक्र है कि हम जीवित लौट आए हैं।”

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