लखनऊ। दो हजार रुपये सैलरी से नौकरी शुरु करने वाला बाबू दस साल में करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन बैठा। छात्रवृति घोटाले की ईडी की जांच में बाबू के इस राज का खुलासा हुआ तो सुनने वाला हर शख्स दंग रह गया। यह कहानी हाइजिया एजुकेशनल ग्रुप के फार्मेसी कॉलेज में बाबू की नौकरी करने वाले रवि प्रकाश गुप्ता की है। उन्होंने कॉलेज संचालकों के साथ मिलकर ऐसी चाल चली कि कॉलेज की कमाई तो बढ़ी ही, वह भी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगे।
अवैध संपत्तियों को अटैच करेगी ईडी
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने जब हाइजिया ग्रुप के ठिकानों और रवि के घर पर छापेमारी की तो पता चला कि छात्रवृत्ति की रकम की बंदरबांट की गई और बेशकीमती संपत्तियों को खरीदा गया। रवि प्रकाश ने काली कमाई से राजधानी स्थित जानकारीपुरम में एक आलीशान आवास भी निर्मित कराया था। ईडी ने बाबू के जानकारीपुरम स्थित आवास पर छापेमारी की तो तमाम संपत्तियों के दस्तावेज के अलावा बैंक एकाउंट के बारे में भी जानकारी मिली। यह भी पता चला कि इन बैंक एकाउंट में लाखो रुपये जमा कराए गए हैं। बताया जा रहा है कि ईडी अवैध संपत्तियों को अटैच कर सकती है।
1.57 लाख रुपये प्रति छात्र ली गई छात्रवृत्ति
दरअसल, समाज कल्याण विभाग और केंद्रीय दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग की तरफ से छात्रवृत्ति आती थी। छात्रवृत्ति का पैसा हड़पने के लिए फूलप्रूफ प्लान बनाया गया। स्टूडेंट्स उनके गोरखधंधे पर सवाल नहीं उठा सके। इसलिए कॉलेज में प्रवेश जीरो फीस पर लिया। छात्रवृत्ति आई तो स्टूडेंट को 8 से 10 हजार रुपये दिए और बाकि पैसे खुद हजम कर गए। सामने आया कि दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग से 1.57 लाख रुपये प्रति छात्र छात्रवृत्ति ली गई। इतने बड़े पैमाने पर घपले को अंजाम देने के लिए अफसरों और बैंक कर्मियों की भी मदद ली गई।
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