नूपुर शर्मा को बड़ी राहत : गिरफ्तारी की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से किया इनकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी की मांग करने वाली याचिका को वापस लेने का सुझाव दिया। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अगुआई वाली पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा- ऐसी याचिका करना बहुत ही सरल लगता है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम होते हैं। हमारा सुझाव इसे वापस लेने का है।
26 मई को एक टेलीविजन चैनल पर नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में टिप्पणी की थी। इसके बाद देश में एक बड़ा विवाद और हिंसा शुरू हो गईं थी। कई मुस्लिम देशों ने भी अपना विरोध दर्ज कराया था इसके बाद भाजपा ने शर्मा की टिप्पणियों से खुद को अलग कर उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था।
19 जुलाई को भी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी
19 जुलाई को सुनवाई में कोर्ट ने 10 अगस्त तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने 8 राज्यों और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया था कि नूपुर शर्मा के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए
1 जुलाई को कोर्ट ने कहा- सिर्फ आप जिम्मेदार
इससे पहले 1 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने पैगंबर पर उनकी टिप्पणी के बाद हुई हिंसा के लिए उनको “अकेले ही जिम्मेदार” ठहराया था। कोर्ट ने तब कहा था कि नूपुर ने टेलीविजन पर धर्म विशेष के खिलाफ उकसाने वाली टिप्पणी की।
उन्होंने लोगों की भावनाएं भड़काई हैं और देशभर में जो कुछ भी हो रहा है, उसकी जिम्मेदार नूपुर ही हैं। उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा किया है। कोर्ट ने कहा कि अपने बयान पर माफी भी उन्होंने शर्तों के साथ ही मांगी, वह भी तब, जब लोगों का गुस्सा भड़क चुका था। यह उनकी जिद और घमंड दिखाता है।
कोर्ट ने कहा कि इससे क्या फर्क पड़ता है कि वे एक पार्टी की प्रवक्ता हैं। वे सोचती हैं कि उनके पास सत्ता का समर्थन है और वे कानून के खिलाफ जाकर कुछ भी बोल सकती हैं।
भाजपा ने की थी नूपुर शर्मा पर कार्रवाई
27 मई को एक टीवी डिबेट में नूपुर शर्मा ने पैगंबर पर विवादित टिप्पणी की, जिसके बाद देशभर में उनके बयान का विरोध शुरू हो गया। वहीं कुछ इस्लामिक देशों ने भी आपत्ति जताई। इधर, भाजपा ने नूपुर के बयान से खुद को किनारे कर लिया और उन्हें पार्टी से निकाल दिया।
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