कोलकाता। पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में गिरफ्तार पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी की जेल की सजा आज, बुधवार को खत्म हो रही है। उन्हें आज कोर्ट में पेश किया जाएगा। हालांकि, दोनों को शारीरिक रूप से नहीं बल्कि वर्चुअली कोर्ट में पेश किया जाएगा। बता दें कि पार्थ चटर्जी फिलहाल प्रेसिडेंसी जेल में हैं, जबकि अर्पिता मुखर्जी अलीपुर केंद्रीय महिला जेल में हैं। आज उनकी अदालत में फिर से पेशी होनी हैं, लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर जेल प्रबंधन ने शारीरिक रूप की जगह वर्चुअली पेश करने का आवेदन कोर्ट से किया था। कोर्ट ने इसकी मंजूरी दे दी है।
बता दें कि इसके पहले कोर्ट ने 14 दिनों की जेल हिरासत दी थी, लेकिन 14 दिनों के भीतर जांच में प्रसन्न रॉय का नाम सामने आया है। उसकी कई संपत्तियों का पता लगाया जा चुका है। इस पूरे मामले को लेकर ईडी के अधिकारियों द्वारा सवाल किये जाने की संभावना है और जेल हिरासत की अवधि बढ़ाने की फरियाद करेंगे।
जमानत की फरियाद करेंगे पार्थ और अर्पिता
कोर्ट से वर्चुअली सुनवाई के लिए प्रेसीडेंसी जेल में विशेष व्यवस्था की गई है. इस सुनवाई में पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी गूगल मीट या जूम के जरिए वीडियो कॉल के जरिए हिस्सा ले सकते हैं। अलीपुर महिला केंद्रीय जेल में भी विशेष इंतजाम किए गए हैं। वर्चुअल सुनवाई दोपहर 12 बजे के बाद शुरू होगी।जेल अधिकारी यह सुनिश्चित करने पर विचार कर रहे हैं कि इंटरनेट कनेक्शन में कोई व्यवधान नहीं पड़े।सूत्रों के मुताबिक प्रेसीडेंसी जेल में वर्चुअल सुनवाई के लिए विशेष कमरों की व्यवस्था की गई है। सूत्रों के मुताबिक इस दिन भी जमानत के लिए अर्जी दी जाएग।
जेल की जिंदगी के आदी हो गये हैं पार्थ, अर्पिता करती रहती हैं विलाप
हालांकि 28 दिन जेल की हिरासत में बिताने के बाद पार्थ चटर्जी को धीरे-धीरे इस जिंदगी की आदत होती जा रही है। इस अवधि के दौरान उनके दैनिक जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन आया है। जैसे-जैसे दिन बीतते जा रहे हैं पार्थ को जेल के नियमों की आदत हो गई है। वह अन्य कैदियों की तरह ही अपना दिन बिता रहे हैं। पैरों की सूजन काफी कम हो गई है। पहले तो वह सेल के अंदर चुपचाप बैठा रहते थे। अब वह दिन में दो बार सेल से बाहर जाते हैं। अन्य कैदियों से बात करते हैं, जबकि प्राप्त जानकारी के अनुसार अर्पिता मुखर्जी प्रायः ही रोती रहती हैं और जेल से जल्द से जल्द निकलना चाहती है। अपनी इस स्थिति के लिए वह पार्थ चटर्जी को जिम्मेदार मानती हैं।
Comments are closed.