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अंतरिक्ष में तैरता किला होगा भारत का स्पेस स्‍टेशन, इसरो चीफ सोमनाथ से जानिए कब तक बन जाएगा

नई दिल्‍ली। भारत अगले 20-25 साल में अंतरिक्ष में अपना बेस बना लेगा। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के अनुसार, गगनयान मिशन के बाद स्‍पेस स्‍टेशन बनाने पर काम शुरू होगा। सोमनाथ ने चीन ग्‍लोबल टेलीविजन नेटवर्क (CGTN) को दिए इंटरव्यू. . .

नई दिल्‍ली। भारत अगले 20-25 साल में अंतरिक्ष में अपना बेस बना लेगा। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के अनुसार, गगनयान मिशन के बाद स्‍पेस स्‍टेशन बनाने पर काम शुरू होगा। सोमनाथ ने चीन ग्‍लोबल टेलीविजन नेटवर्क (CGTN) को दिए इंटरव्यू में ISRO का फ्यूचर प्लान बताया। उन्होंने कहा कि ‘हमारा गगनयान कार्यक्रम अंतरिक्ष में मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता की ओर है और एक बार ऐसा होने पर, हम बाद के मॉड्यूल में अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण को देख पाएंगे।’ सोमनाथ ने कहा कि इस स्‍पेस स्‍टेशन प्रोजेक्ट की टाइमलाइन अगले 20-25 साल तक जाएगी। एक सवाल के जवाब में ISRO चीफ ने कहा, ‘हम निश्चित रूप से अपने एजेंडे में मैन्ड एक्‍सप्‍लोरेशन, लंबे समय के लिए ह्यूमन स्पेस फ्लाइट और स्‍पेस एक्‍सरसाइज पर विचार करेंगे।’
ISS से छोटा होगा भारत का अपना स्‍पेस स्‍टेशन
स्‍पेस स्‍टेशन बनाने की शुरुआती योजना 2019 में शुरू हुई। ISRO ने ऐलान किया कि अगले 10 साल के भीतर अपनी स्‍पेस एजेंसी सेटअप करेगा। 2021 तक गगनयान मिशन लॉन्च करने की तैयारी थी। फिर कोविड-19 महामारी के चलते प्‍लान लटक गया।
तत्कालीन ISRO चीफ के सिवन ने कहा था कि गगनयान के बाद ‘लॉजिकल स्टेप यही होगा कि स्‍पेस स्‍टेशन बनाया जाए और फिर चांद पर मैन्ड मिशन भेजा जाए।’ उन्होंने यह भी कहा था कि भारतीय स्‍पेस स्‍टेशन का आकार इंटरनैशनल स्‍पेस स्‍टेशन (ISS) से छोटा होगा और उससे अलग काम करेगा।
अभी अंतरिक्ष में केवल एक ही स्टेशन
अभी अंतरिक्ष में इंटरनैशनल स्‍पेस स्‍टेशन अपने तरह का इकलौता बेस है। यह निचली कक्षा में, सतह से 400 किलोमीटर ऊपर धरती की परिक्रमा करता है। ISS 90 मिनटों में पूरी दुनिया का चक्कर लगा लेता है। 1998 में ISS को अमेरिका, रूस, जापान, कनाडा और यूरोपियन देशों ने मिलकर लॉन्च किया था।

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