डेस्क। देश में इस वक्त वर्ल्ड कप चल रहा है और पूरी दुनिया की नज़रें इस टूर्नामेंट पर टिकी हुई हैं. क्या हिन्दुस्तान 12 साल के बाद वर्ल्ड कप की ट्रॉफी जीत पाएगा या नहीं, ये सवाल हर किसी के मन में है. खैर, आज 2 अक्टूबर भी है और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जा रही है. ऐसे में हम आपको महात्मा गांधी और क्रिकेट का एक खास कनेक्शन बताते हैं, जिसकी बात हमेशा की जाती है. आजादी से पहले एक ऐसा टूर्नामेंट था, जो काफी पॉपुलर था लेकिन खुद महात्मा गांधी ने उसका विरोध किया था. आपको पूरा किस्सा बताते हैं…
आजादी से पहले देश में जब क्रिकेट फलफूल रहा था, उस वक्त इसका सबसे बड़ा गवाह मुंबई (तब बॉम्बे) ही था. यहां एक टूर्नामेंट का आयोजन हुआ करता था जिसका नाम बॉम्बे पेंटाग्युलर कप. इसकी शुरुआत तो पारसियों के एक ग्रुप ने ब्रिटिशों के साथ मैच खेलकर की थी, लेकिन बाद में इसमें टीमें जुड़ती गईं. जब ये टूर्नामेंट अपने पीक पर था, उस वक्त इसमें पारसी, हिन्दू, मुस्लिम, यूरोपियन ग्रुप और अन्य की टीमें हिस्सा ले रही थीं.
आजादी से पहले हुआ था विरोध
टीमों के नाम से ही पता लगता है कि किस तरह सभी खिलाड़ियों को धर्म के आधार पर बांटा गया था. इसका शुरुआत से ही विरोध होता रहा था, हालांकि इस बीच भी टूर्नामेंट चलता गया. 1940 के करीब जब द्वितीय विश्व युद्ध हुआ, उस वक्त दुनियाभर में मातम पसरा था क्योंकि उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा था. भारत के भी कई सैनिकों की वहां मौत हुई थी, ऐसे में मातम के बीच किसी भी तरह के खेल या जश्न का विरोध हो रहा था. इसके अलावा भारत में आजादी का आंदोलन चरम पर था, ऐसे में हर किसी की कोशिश एकजुट होने की थी.
इसी दौर में जब बॉम्बे पेंटाग्युलर कप का खुलेआम विरोध शुरू हुआ तो इसमें महात्मा गांधी की एंट्री हुई. उस दौर के कई क्रिकेटर, अखबार और अन्य क्लबों ने इस टूर्नामेंट का विरोध किया, क्योंकि ये धार्मिक लड़ाई को जन्म दे रहा था. हर किसी से अपील की जा रही थी कि लोग इस टूर्नामेंट को छोड़कर रणजी ट्रॉफी को देखें, विरोध का ये मामला महात्मा गांधी तक पहुंचा. जब हिन्दू जिमखाना ग्रुप के कुछ सदस्यों ने उनसे संपर्क किया और इस टूर्नामेंट के खिलाफ आपत्ति जाहिर की.
गांधी से की गई थी अपील
वर्धा के आश्रम में जिमखाना क्लब के सदस्यों ने महात्मा गांधी से मुलाकात की थी, यहां उनसे अपील की गई कि वो इस टूर्नामेंट को रद्द करवाएं. इसके बाद महात्मा गांधी ने अपना पक्ष सभी के सामने रखा. महात्मा गांधी ने कहा था कि बॉम्बे पेंटाग्युलर कप को रद्द किया जाना चाहिए, ऐसी मांग करती हुईं कई बातें मेर सामने रखी गई हैं. इस वक्त देश में सत्याग्रहियों को मारा जा रहा है, गिरफ्तार किया जा रहा है और ऐसे माहौल में कई लोग इस टूर्नामेंट के आयोजित होने का विरोध कर रहे हैं.
महात्मा गांधी ने कहा था कि ऐसे माहौल में वो उन लोगों के साथ हैं, जो इस टूर्नामेंट का विरोध कर रहे हैं. आज पूरी दुनिया शोक में है, ऐसे में हमें इस दौर में इन चीज़ों से दूर रहना चाहिए जो माहौल को ज्यादा बिगाड़े. मैं बॉम्बे के लोगों से भी यही अपील करूंगा कि पुरानी चीज़ों को भुलाना चाहिए, साथ ही ऐसी किसी भी चीज़ का विरोध करना चाहिए जो साम्प्रदायिक सदभाव को खत्म करे. कॉलेज और यूनिवर्सिटी के मैच होना अच्छा है, लेकिन मैं नहीं समझ पाया हूं कि धर्म के नाम पर टीमों को क्यों बांटा जाता है, क्या खेल की इस दुनिया में हम धर्म को दूर नहीं रख सकते हैं.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इस अपील का बेहद व्यापक असर हुआ था और सिर्फ लोगों ही नहीं बल्कि कई क्रिकेटर्स ने भी इस टूर्नामेंट का विरोध किया था. महात्मा गांधी के इस बयान को मीडिया में काफी तवज्जो मिली थी और खुले तौर पर ये लिखा गया था कि महात्मा गांधी पेंटाग्युलर टूर्नामेंट के विरोध में खड़े हुए हैं.
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