गुस्से में दौड़ते 300 सांडों को काबू करने उतरे 500 लोग, 2000 साल पुराने खतरनाक खेल ‘जल्लीकट्टू’ की कहानी
चेन्नई। तमिलनाडु के पुदुक्कोट्टई जिले में रविवार को सांडों को काबू में करने वाला खेल जल्लीकट्टू का साल का पहला आयोजन धूमधाम से शुरू हुआ, जिसमें युवाओं की सक्रिय भागीदारी देखी गई। पुदुक्कोट्टई के थाचनकुरिची गांव में सुबह से ही खेल के मैदान में एक के बाद एक 300 से अधिक सांड छोड़े गए। सांडों पर हावी होने के लिए सांडों को काबू में करने वाले 500 से अधिक महारथियों सांडों के बीच होड़ मच गई। दिल दहलाने वाला मौत का यह खेल तमिलनाडु में एक प्राचीन परंपरा है। यह 2000 साल से खेला जा रहा है। इस खेल में भीड़ बेकाबू और गुस्सैल सांडों को पकड़कर उन्हें गिराने की कोशिश करते हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद इस खेल पर पाबंदी नहीं लग पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे रोकने की कोशिश की, तो सरकार ने जनता के आगे झुककर इसे फिर से चालू करा दिया। 2021 में राहुल गांधी जल्लीकट्टू देखने तमिलनाडु पहुंचे थे।
पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री शिव वी मेयनाथन और कानून मंत्री एस रघुपति ने जल्लीकट्टू कार्यक्रम का उद्घाटन किया। सांडों के मालिकों और वश में करने वालों को जीतने के लिए एक नई मोटरसाइकिल, प्रेशर कुकर और चारपाई सहित पुरस्कार पेश किए गए हैं। अधिकारियों ने कार्यक्रम की अनुमति देने से पहले सुरक्षा पहलुओं सहित व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
जल्लीकट्टू के दौरान दर्शकों, प्रतिभागियों और कुछ पुलिस कर्मियों सहित 35 से अधिक लोग घायल हो गए। उनमें से कुछ अस्पताल में भर्ती कराने पड़े। जल्लीकट्टू के औपचारिक समापन के बाद अराजकता फैल गई। बड़ी संख्या में लोग खुले मैदान में इकट्ठा हुए, जिससे हंगामा हुआ। हालांकि अधिकारियों ने पहले ही घोषित कर दिया था कि खेल खत्म हो गया है और पुलिस को व्यवस्था बहाल करने के लिए सांडों को काबू में करने वाले उम्मीदवारों पर लाठीचार्ज करना पड़ा। तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में जल्लीकट्टू आयोजनों के लिए विस्तृत गाइडलाइन जारी की थी। इस बीच पुडुकोट्टई जिले के अरंथंगी में एक घोड़ा गाड़ी दौड़ आयोजित की गई।
जल्लीकट्टू को तमिलाडु के गौरव और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। इस खेल में हजारों सांडों को मैदान में लड़ाई के लिए उतारा जाता है। भीड़ उनसे भिड़ती है। सांडों को पकड़कर रखने का यह खेल बेहद खतरनाक होता है।
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