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ऐतिहासिक रामकेली मेले में लगा संतों का जमावड़ा, दर्शन के लिए हजारों लोगों की उमड़ी भीड़

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मालदा। मालदा के गुप्त वृंदावन कहे जाने वाले रामकेली धाम सिद्ध पुरुषों का आना शुरू हो गया है और इसके साथ ही इन सिद्ध पुरुषों के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ भी उमड़नी शुरू हो गई है । रामकेली मेले में एक नागा सन्यासी भी आये है, जिनका आशीर्वाद लेने के भरी भीड़ दिखाई दे रही है।
गौरतलब है कि रामकेली धाम करीब 500 साल ओल्ड मालदा के इंग्लिशबाजार प्रखंड के महदीपुर ग्राम पंचायत में स्थित है। चैतन्य महाप्रभु की स्मृति में रामकेली मेला 508 वर्ष से मनाया जा रहा है। रामकेली मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है। मंदिर के पास एक कुंड है, जिसे सीताकुंड कहा जाता है। भारत में सिर्फ इसी सीताकुंड में महिलाओं को पिंडदान करने का सौभाग्य प्राप्त है। यह भी कहा जाता है की एक बार महाप्रभु श्री चैतन्यदेव यहाँ आए और पारंपरिक धर्म का प्रचार किया। उनके पदचिन्ह आज भी संरक्षित हैं। यह भी कहा जाता है कि राम के निर्वासन के दौरान, एक हजार साल पहले इस रामकेली धाम में देवी सीता का निधन हो गया था। इन्हीं मान्यताओं के चलते मालदा के रामकेली मेले में सिद्धी प्राप्ति के लिए संतों और नागा साधुओं की भीड़ लगी रहती है। इन संतों और नागा साधुओं का आशीर्वाद लेने के लिए हर दिन लाखों लोग रामकेली मेले में आते हैं।
हालांकि मेले को सुचारू रूप से चलाने के लिए जिला पुलिस और प्रशासन ने कैंप लगा रखे हैं। हर जगह निगरानी की जा रही है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कई संत उत्तर प्रदेश, असम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश सहित विभिन्न पहाडी इलाको से आए है। कुछ की बड़ी चोटी और दाढ़ी है, जबकि अन्य नग्न नागा भिक्षु हैं। बहुत सारे संत शरीर पर विभूति मेखे पेड़ के नीचे नाम जप रहे हैं। मेले में आए हजारों लोगों की भीड़ उन संतों के पास जा रही है और प्रणाम कर आशीर्वाद ले रही है।
मालदा रामकेली धाम में ऋषिकेश से एक नागा साधु आये हैं। वह रामकेली मंदिर के रास्ते में मदन मोहन मंदिर के पियासबरी जंक्शन के परिसर में परमानंद की स्थिति में बैठे हैं। हाथ में रुद्राक्ष, सिर पर लट इसी तरह नाम का जाप कर रहे हैं। और उस नागा साधु को देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और प्रशासन को काफी मशक्क्त करनी पड़ रही है। इसी तरह अलग-अलग राज्यों से संतों की टोली आई है। एक हाथ में कुंडल, दूसरे हाथ में त्रिशूल। मालदार श्री चैतन्य धाम यानी गुप्त वृंदावन रामकेली में लट, सिर और लाल वस्त्र वाले कई संतों और साधुओं को देखा जा सकता है और विभिन्न राज्य से भक्त इन संतों का आशीर्वाद लेने आए हैं।


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