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चंद्र ग्रहण 2023: चंद्र ग्रहण 29 अक्टूबर 2023 को लग रहा है। ये खंडग्रास चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा इसलिए इसका सूतक काल मान्य रहेगा। चंद्र ग्रहण देर रात शुरू होगा लेकिन इसका सूतक काल 9 घंटे पहले पूर्णिमा तिथि पर ही लग जाएगा।
आप भी उठाएं लाभ
चंद्र ग्रहण शुरू- 29 अक्टूबर 2023, देर रात 01.06
चंद्र ग्रहण शुरू- 29 अक्टूबर 2023, देर रात 01.06
चंद्र ग्रहण समाप्त – 29 अक्टूबर 2023, देर रात 02.22
सूतक काल शुरू- 28 अक्टूबर, दोपहर 01.52 – 29 अक्टूबर, देर रात 02.22
खंडग्रास ग्रहण की अवधि- 1 घंटा 16 मिनट 16 सेकंड
उपच्छाया की अवधि- 4 घंटे 23 मिनट
चंद्र ग्रहण के समय नक्षत्र- अश्विनी नक्षत्र
चंद्र ग्रहण किस राशि में लगेगा- मेष राशि
उपच्छाया से पहला स्पर्श- अक्टूबर 28 को 11:32 बजे
प्रच्छाया से पहला स्पर्श- अक्टूबर 29 को देर रात 01.06
परमग्रास चंद्र ग्रहण- देर रात 01.44 (29 अक्टूबर 2023)
प्रच्छाया से अन्तिम स्पर्श- अक्टूबर 29 को देर रात 02.22
उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श- अक्टूबर 29 को देर रात 03.55
आज का पंचांग- 27 अक्टूबर, 2023
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चंद्र ग्रहण में चंद्रमा की किरणें दूषित हो जाती हैं, इसे शरीर के लिए हानिकारक माना गया है। ऐसे में इस दिन खुले आसमान के नीचे खीर नहीं रखी जाएगी क्योंकि चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर 2 बजे से शुरू हो जाएगा। सूतक काल में भोजन, भोग नहीं बनाया जाता। ऐसे में आप चाहें तो ग्रहण खत्म होने के बाद खीर बना सकते हैं।
सूतक काल में न करें ये काम
सूतक काल में स्नान, दान, पुण्य कार्य, हवन और भगवान की मूर्ति का स्पर्श नहीं करना चाहिए। इस समय आप गुरु मंत्र, राहु और चंद्रमा के मंत्रों का जप कर सकते हैं। हालांकि सूतक काल में गर्भवती स्त्री, बच्चें, वृद्धजन भोजन कर सकते हैं। उन्हें दोष नहीं लगेगा। सूतक काल आरंभ होने से पहले खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते या कुशा डाल दें।
खीर में रखें तुलसी दल, नहीं प्रभावी होगा दोष
जिस दिन चंद्रग्रहण लगेगा उसी दिन शरद पूर्णिमा है। डॉ. शंखधर ने बताया कि निर्णय सिंधु के अनुसार किसी भी भोजन पात्र में तुलसी दल रख दिया जाए तो उस पर ग्रहण का प्रभाव नहीं होता। ऐसे में खीर में तुलसी दल या कुशा रखने से ये दोष प्रभावी नहीं होगा। ग्रहण शुरू होने से पहले रात आठ बजे खीर को खुले आसमान के नीचे रख दें और फिर ग्रहण लगने से पहले ही उसे हटा लें।
मिथुन, कर्क, वृश्चिक और कुंभ राशि वालों के लिए यह ग्रहण लाभ देने वाला रहेगा। उनको ग्रहण का दर्शन करने से किसी भी प्रकार का कोई भी हानि नहीं मानी जाएगी शुभ रहेगा।
ये रहेगा प्रभाव
पंडित सुधांशु तिवारी चंद्रग्रहण के प्रभाव पर बताते हैं चंद्र ग्रहण 29 अक्टूबर के प्रारंभ काल में अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश कर रहा है। जो की मेष, वृषभ, कन्या और मकर राशि वालों के लिए हानिकारक अशुभ फल देने वाला है। सिंह, तुला, धनु और मीन राशि वालों के लिए सामान्य मध्य जैसा रहेगा। बहुत ज्यादा कोई हानि या बहुत कुछ लाभ देने वाला नहीं है।
गजकेसरी योग बन रहा
आचार्य सुधांशु तिवारी ने बताया 30 साल पहले शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का योग पड़ा था। तब भी ठाकुर जी ने चंद्रमा की धवल चांदनी में भक्तों को दर्शन नहीं दिए थे। करीब 30 वर्षों बाद में रास पूर्णिमा के दिन गजकेसरी योग गुरु चंद्र के सहयोग से बन रहा है।
शरद पूर्णिमा के दिन इस तरह का चंद्र ग्रहण योग नहीं पड़ा है। यह पहली बार है कि इस पीढ़ी के लोगों के सामने जब ठाकुर जी को खीर का भोग उनके आंगन में नहीं लगाया जा सकेगा। खीर का भोग ग्रहण कल के बाद में हर वस्तु पवित्रता के साथ स्नान-ध्यान से निवृत्त होकर के तैयार किया जाएगा और फिर अपने ठाकुर जी को भोग लगाया जा सकता है। ऐसे में सूर्याेदय के समय उसका प्रसाद लेने से उतने ही पुण्य और स्वास्थ्य रक्षा की प्राप्ति रहेगी।
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