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दुखों से भरी रही है द्रौपदी मुर्मू की निजी जिंदगी, पति की मौत, 2 बेटों को खोया, टीचर से लेकर सिंचाई विभाग में क्लर्क की नौकरी, जानिए राष्ट्रपति उम्मीदवार के बारे में सबकुछ

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने झारखंड का पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव (प्रेजिडेंट इलेक्शन- 2022) के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी की घोषणा की। राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने के बाद द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली भारत की पहली राष्ट्रपति होंगी।
बेहद लंबा और मुश्किल भरा रहा है द्रौपदी मुर्मू का सफर
आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाए जाने तक का सफर बेहद लंबा और मुश्किल सफर रहा है। 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू आदिवासी संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं.उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है।
पति की मौत के बाद 2 बेटों को भी खो चुकी हैं
द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुआ था और दोनों के तीन बच्चे (दो बेटे और एक बेटी) हुए। लेकिन, द्रौपदी मुर्मू का व्यक्तिगत जीवन त्रासदियों से भरा रहा है और उन्होंने अपने पति व दोनो बेटों को खो दिया। उनकी बेटी इतिश्री की शादी गणेश हेम्ब्रम से हुआ है।
कभी करती थीं सिंचाई विभाग में जूनियर असिस्टेंट की नौकरी
हालांकि, द्रौपदी मुर्मू ने कभी भी कठिनाइयों से हार नहीं मानी और सभी बाधाओं को पार करते हुएउन्होंने भुवनेश्वर के रामादेवी महिला कॉलेज से आर्ट्स में ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्हें ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में एक जूनियर असिस्टेंट यानी कलर्क के रूप में नौकरी मिली। बाद में, उन्होंने रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में मानद सहायक शिक्षक के रूप में भी काम किया।
पार्षद के रूप में शुरू किया अपना राजनीतिक करियर
संथाल समुदाय में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और फिर साल 2000 में वह ओडिशा सरकार में मंत्री बनीं।
बीजेडी-बीजेपी गठबंधन टूटने के बाद भी दर्ज की जीत
रायरंगपुर से दो बार विधायक रहीं द्रौपदी मुर्मू ने साल 2009 में तब भी अपनी विधानसभा सीट पर जीत हासिल की, जब बीजु जनता दल (बीजेडी) ने ओडिशा के चुनावों से कुछ हफ्ते पहले भाजपा (बीजेपी) से नाता तोड़ लिया था। उस चुनाव में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजद (बीजेपी) ने जीत दर्ज की थी।
सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए मिला था नीलकंठ पुरस्कार
द्रौपदी मुर्मू को साल 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा साल के सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके पास ओडिशा सरकार में परिवहन, वाणिज्य, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे मंत्रालयों को संभालने का अनुभव है।
बीजेपी संगठन में संभाल चुकी हैं कई अहम पद
द्रौपदी मुर्मू भारतीय जनता पार्टी की ओडिशा इकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष और बाद में अध्यक्ष भी रहीं। उन्हें 2013 में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी (एसटी मोर्चा) के सदस्य के रूप में भी नामित किया गया था।
झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का गौरव
द्रौपदी मुर्मू के नाम झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का भी गौरव हासिल है। द्रौपदी मुर्मू 18 मई 2015 को झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई थीं और 12 जुलाई 2021 तक इस पद पर रहीं। अगर, वह राष्ट्रपति के लिए चुनी जाती हैं तो आजादी के बाद पैदा होने वाली पहले राष्ट्रपति भी होंगी।


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