नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के दोषियों को समय से पहले रिहा करने के आदेश पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही दोषियों की रिहाई को बरकरार रखा। बता दें, कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में दोषी करार दिए जाने के बाद उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को उत्तर प्रदेश शासन ने रिहा करने का आदेश दिया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके अच्छे आचरण को देखते हुए रिहा करने का आदेश दिया था।
इस पर मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया और आठ हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है।
निधि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कहा कि मैं उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और यूपी के सीएम से उनकी रिहाई रोकने का अनुरोध करती हूं। आरटीआई आवेदनों में कहा गया है कि अमरमणि वास्तव में कभी जेल नहीं गए थे। वह कुछ भी कर सकते हैं। अगर उन्होंने मेरी हत्या कर दी तो इस केस की पैरवी करने वाला कोई नहीं बचेगा? उन्होंने कहा कि यूपी में कैसी कानून-व्यवस्था है?
यह है मामला
बता दें कि करीब 20 वर्ष पहले राजधानी की पेपरमिल कॉलोनी में रहने वाली कवियत्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले की जांच सीबीआई ने की थी। सीबीआई ने अपनी जांच में अमरमणि और मधुमणि को दोषी करार देते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। बाद में इस मामले का मुकदमा देहरादून स्थानांतरित कर दिया गया था। दोनों जेल में बीते 20 वर्ष एक माह और 19 दिन से थे। उनकी आयु, जेल में बिताई गई सजा की अवधि और अच्छे जेल आचरण के दृष्टिगत बाकी बची हुई सजा को माफ कर दिया गया है।
अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रिहा किया गया है। दरअसल, कोर्ट ने जेल में अच्छा आचरण करने वाले कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था, जिसके बाद अमरमणि और उनकी पत्नी ने दया याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने दोनों को रिहा करने का आदेश दिया, लेकिन इसमें देरी होने लगी। इस पर अमरमणि ने अवमानना का वाद दाखिल कर दिया, जिसके बाद दोनो को रिहा करने का आदेश शासन ने जारी कर दिया।
जेल में भी कम नहीं हुआ अमरमणि का दबदबा, बेटा भी पत्नी की हत्या का आरोपी
लखनऊ में निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को मशहूर कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हुई हत्या से तत्कालीन बसपा सरकार में हड़कंप मच गया था। चंद मिनटों में मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों को मधुमिता और अमरमणि के प्रेम प्रसंग के बारे में नौकर देशराज ने जानकारी दी, तो तत्काल शासन के अधिकारियों को सूचित किया गया। दरअसल अमरमणि बसपा सरकार के कद्दावर मंत्रियों में शुमार किए जाते थे। इस हत्याकांड के बाद देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई, लेकिन यूपी के सियासी गलियारों में अमरमणि की हनक कभी कम नहीं हुई।
बता दें कि इस हत्याकांड की जांच तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने सीबीसीआईडी को सौंपी थी। मधुमिता के शव का पोस्टमार्टम करने के बाद उसके गृह जनपद लखीमपुर भेजा गया। अचानक एक पुलिस अधिकारी की नजर रिपोर्ट पर लिखी एक टिप्पणी पर पड़ी, जिसने इस मामले की जांच की दिशा बदल दी। दरअसल, रिपोर्ट में मधुमिता के गर्भवती होने का जिक्र था। तत्काल शव को रास्ते से वापस मंगवाकर दोबारा परीक्षण कराया गया। डीएनए जांच में सामने आया कि यह बच्चा अमरमणि का था। निष्पक्ष जांच के लिए विपक्ष के बढ़ते दबाव की वजह से बसपा सरकार को आखिरकार इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति करनी पड़ी। सीबीआई जांच के दौरान भी गवाहों को धमकाने के आरोप लगे तो मुकदमा देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया। देहरादून की अदालत ने चारों को दोषी करार दिया, जबकि एक अन्य शूटर प्रकाश पांडेय को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। हालांकि बाद में नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रकाश पांडेय को भी दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
पत्नी भाग गई थी नेपाल, सीबीआई को मुश्किल से मिला देशराज
सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की तो अमरमणि और उनकी पत्नी की संलिप्तता के पुख्ता प्रमाण मिले, जिसके बाद अमरमणि को गिरफ्तार कर लिया गया। उससे राजधानी के डालीबाग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई। वहीं मधुमणि नेपाल भाग गई और कई दिनों तक सीबीआई उसकी तलाश करती रही। इसी तरह मधुमिता का नौकर देशराज भी कई दिन तक फरार रहा। बाद में सीबीआई ने उसे लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया। देशराज ने अमरमणि और मधुमिता के रिश्तों के बारे में खुलासा किया तो पूरे मामले की पर्ते उधड़ती चली गई। जांच में सामने आया कि अमरमणि से मधुमिता के रिश्तों से नाराज होकर हत्या की साजिश मधुमणि ने रची थी।
बेटे पर भी है पत्नी की हत्या का आरोप
अमरमणि के बेटे अमनमणि पर भी अपनी पत्नी सारा सिंह की हत्या का आरोप लगा था। इस प्रकरण की जांच भी सीबीआई को सौंपी गई थी। जांच में सामने आया था कि सारा सिंह की मौत सड़क दुर्घटना में नहीं, बल्कि मोबाइल के चार्जर से गला घोंटकर अमनमणि ने की थी। सीबीआई ने अमनमणि के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र भी दाखिल किया था। अमनमणि वर्ष 2017 में नौतनवा सीट से विधायक भी रह चुका है। उसके खिलाफ लखनऊ में अपहरण का एक मामला भी दर्ज हुआ था।
मधुमिता की बहन और सारा की मां करती रही संघर्ष
अमरमणि और उसके कुनबे को राजनीतिक संरक्षण देने और जेल के बजाय अस्पताल में सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला कई सालों से लगातार संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री और आलाधिकारियों को पत्र लिखा और धरना-प्रदर्शन किया। इसी तरह अमनमणि की पत्नी सारा सिंह की मां सीमा सिंह की अपनी बेटी काे इंसाफ दिलाने की लड़ाई आज भी जारी है।
अमरमणि गोरखपुर में, जेल प्रशासन को पता नहीं
अमरमणि को सजा होने के बाद वह खुद को बीमार बताकर यूपी आ गया और लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज और गोरखपुर में रहने लगा। कुछ दिन पहले जब देहरादून जेल प्रशासन से अमरमणि के बारे में सूचना मांगी गई, तो अधिकारियों ने उनके बारे में पता नहीं होने की बात कही। गोरखपुर में अमरमणि ने अधिकांश समय जेल के बजाय अस्पताल में ही गुजारा।
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